Why do Kshatriyas eat meat? || क्षत्रिय मांस क्यों खाते हैं ?

Why do Kshatriyas eat meat? Before knowing this you must know who are kshatriya Rajputs, Kshatriyas are a prominent social group in Hindu society, traditionally associated with warriors and rulers. Their dietary habits, including meat consumption, vary among individuals and communities.

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Why do Kshatriyas eat meat?

क्षत्रिय समाज के वह वर्ग है जिनका काम होता है अपनी भूमि की सुरक्षा करना और देश और मातृभूमि के लिए युद्धों में भाग लेना क्षत्रिय समाज इतिहास के एहम भाग रहे है हमेशा से क्षत्रिय समाज अपनी बहादुरी और निडरता के लिए जाना जाता है , यदि कोई भी व्यक्ति जो की युद्ध के लिए ततपर है और उसे मृत्यु का भय नहीं है तो वह समाज के क्षत्रिय वर्ग का ही कहलाएगा,

वैसे तो पौराणिक काल से ही कई योद्धा भारत के भूमि में जन्मे है और उनमे से त्रेता युग के राम और लक्ष्मण और द्वापर युग में कौरव और पांडव के साथ साथ जितने भी योद्धा युद्ध में लड़े सब के सब एक क्षत्रिय ही थे और कोई भी व्यक्ति जन्म से ब्राह्मण,क्षत्रिय,वेश्या और शूद्र नहीं होता है वह अपने कर्म से ही जाना जाता है।

रहे बात मांस की तो है क्षत्रिय मांस खाते थे किन्तु जरुरी नहीं की हर कोई क्षत्रिए मांस का सेवन करता हो महाभारत काल के दौरान पांचो पांडवो में से केवल भीम ही मांस खाया करते थे , या तो क्षत्रिय जंगल में शिकार के लिए जाते थे तो वह जिस भी जिव का शिकार करते थे उसके मांस का सेवन करा करते थे किन्तु वह ज्यादा तर चार पैरो वाले जिव हिरन इत्यादि जैसे जीवो का ही शिकार करते थे , गाय का शिकार नहीं किया जाता था क्यूंकि हिन्दू धर्म के अनुसार गाय को पूजा जाता था और यदि कोई गाय का शिकार करता या मारता था तो यह कर्म उसके काफी समय तक नहीं जाते थे

वैसे तो हिन्दू धर्म में केवल और केवल शूद्र ही मांस का सेवन करते है किन्तु कभी कभी क्षत्रिय मांस का सेवन कर लिया करते थे क्यूंकि उनको युद्ध लड़ने के लिए और कोई भी भारी कार्य कारण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती थी , प्रकृति का यही नियम भी तो है की एक जिन्दा जीव दूसरे जीव को खाता है, चार पैरो वाला जीव और अनाज मनुष्य के खाने योग्य है अब चार पैरो वाले जीव में हिरन और बकरिया शामिल है और पौराणिक काल से इन सब का सेवन केवल और केवल निचले वर्ग के मनुष्य ही क्या करते थे जो की शूद्र कहलाते थे

वह अपनी देवी को प्रसन्न करने के लिए बकरिओ की बलि चढ़ाते थे और फिर परशाद के रूप में उस बकरी का सेवन करते थे , ऊंचे पद के मनुष्य जैसे की ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य मांस का सेवन नहीं किया करते थे किन्तु कभी कभी क्षत्रिय जंगलो में शिकार करने जाते थे तो वह वहा पर मांस का सेवन कर लिया करते थे।

शुरू से गाय को पूजा जाता है तो जितने भी धर्म या जाति मनुष्य होते थे वह कभी भी गाय को नहीं मारते थे, हिन्दू धर्म में गाय को माता माना जाता है क्यूंकि हम गाय का दूध पीते है और जब हम शिशु होते है तो दूध ही हमारे लिए आवश्यक होता है जिस तरह हमारी माता हमें दूध पीला के बढ़ा करती है उसी तरह गाय भी हमें दूध देती है और वह हमारी माता के ही सामान होती है

क्या मांस खाने की अनुमति होती है क्षत्रियो को

यदि हम बात करे क्षत्रियो की तो है वह मांस का सेवन कर सकते है किन्तु उसके लिए उन्हें खुद जंगल जाना है और फिर उस जीव का शिकार करके फिर आप उस जीव को खा सकते हो पांडवो में केवल भीम ही मांस का सेवन करते थे वो भी बस जरुरत पढ़ने पर रोजाना मांस खाने की अनुमति किसी को भी नहीं है,

इसी तरह शूद्र भी कभी कभी ही मांस का सेवन करते थे लेकिन वह भी केवल और केवल बकरिओ का ही सेवन करते थे वो भी पहली वह अपनी देवी माँ काली पर इसको अर्पित करते थे ||

क्षत्रिय मांस का सेवन क्यों करते

यदि इसके पीछे का जबाब जानना चाहते हो तो इसके पीछे का विज्ञानं बेहद ही सरल है जिस तरह जो जीव मांस का सेवन करते है उनकी शरीर में मांस का पाचन बेहद ही जल्दी हो जाता है और मांस के अंदर काफी अच्छी मात्रा में प्रोटीन और वषा होता है

जो की हमारे शरीर को और भी मजबूत बनाता है, ,मांस का पाचन जल्दी होने के कारण हमें ऊर्जा भी जल्दी प्राप्त होती है जितने भी क्षत्रिय होते है वह हमेशा ही युद्ध के लिए ततपर रहते है और युद्ध काफी दिनों तक भी चलता है जिसके चलते उनके शरीर को ताकत की आवश्यकता पड़ती है किन्तु जरुरी नहीं है की हर को क्षत्रिय ही मांस का सेवन करे,

किन्तु मांस खाने के लिए कोई वर्जित भी नहीं था, अगर किसी क्षत्रिय को मांस खाना है तो जिस जानवर का शिकार करेगा वह उसका मांस खा सकता है,

किन्तु रोज रोज नहीं केवल कुछ मौको पर ही या फिर बहुत ज्यादा आवश्यक हो तो। तो अब आप जान ही गए होंगे की क्षत्रिय मांस का सेवन क्यों करा करते थे और उनको मांस खाने की अनुमति है की नहीं बस सब की अपनी इच्छा है कोई करना चाहता है तो वह कर सकता है किन्तु उसके लिए आपको ही परिश्रम करना होगा।